अधिकारियों का कहना है कि असली सैनिटाइजर में 75 फीसदी एल्कोहल, 25 फीसदी पानी, गिलस्रीन या अन्य तरल पदार्थों का प्रयोग किया जाता है। एल्कोहल की मात्रा 75 से 77 फीसदी तक हो सकती है, लेकिन इससे कम होगी तो सैनिटाइजर उतना प्रभावी नहीं होगा। खुुशबू के लिए इत्र आदि डाल सकते हैं।
ये हैं नियम
मेडिकल से संबंधित कोई भी सामान या दवा बनाने के लिए पहले लाइसेंस के लिए आवेदन करना होता है। इसके बाद उत्पाद बनाने की पूरी प्रक्रिया कागज पर बताई जाती है। इसके मानक भी बनाते होते हैं। अधिकारियों द्वारा इसका अध्ययन किया जाता है और जब सही लगता है तो लाइसेंस दिया जाता है। विभाग की ओर से इसके मानक भी तय किए जाते हैं और उनका समय-समय पर निरीक्षण भी किया जाता है।
सैनिटाइजर और मास्क की जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। रिपोर्ट आने के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। मामले की तहरीर तैयार की जा रही है। इसके बाद नोएडा के फेज-थ्री कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी।
- अखिलेश कुमार जैन, ड्रग इंस्पेक्टर, गौतमबुद्ध नगर
ऐसे बनाया जाता है असली सैनिटाइजर